पेंसिल की कहानी हमारी जबानी, थोड़ा और जाने 101

Image Photo From Unsplash

पेंसिल अब भी बहुत उपयोगी चीज है। आज की पीढ़ी ने कंप्यूटर, टैबलेट और लैपटॉप के माध्यम से खेलते और पढ़ते हुए शायद नोटबुक, पेन्सिल, इरेज़र, इंक पेन या बॉल पेन देखे होंगे… लेकिन नोटबुक, पेन्सिल, इरेज़र, इंक पेन और बॉल पेन अगली पीढ़ी के लिए संशोधन का विषय होंगे !

सामान्य शब्दों में, एक पेन्सिल एक कागज लेखन उपकरण है जो हल्की लकड़ी से बना होता है और ज्यादातर काले या ग्रे रंग के ग्रेफाइट के उपयोग से बना होता है ।

पेंसिल कैसे बनती है ?

आमतौर पर पेन्सिल देवदार की लकड़ी से बनाई जाती है।पेन्सिल का बाहरी आकार गोल, त्रिभुजाकार या षट्कोणीय होता है। एक पेन्सिल की लंबाई आमतौर पर ७५ इंच होती है। पेन्सिल में ग्रेफाइट की मोटाई पेन्सिल की संरचना और उसके उपयोग के आधार पर ०.१३  मिमी से २.०० मिमी तक होती है। लेकिन सामान्य उपयोग की पेन्सिल में ग्रेफाइट की मोटाई ०.९० MM होती है।

पेन्सिल के अंदर ग्रेफाइट की मजबूती को देखते हुए बाजार में +20 तरह की पेन्सिले उपलब्ध हैं। जैसे 10बी, 9बी, 8बी, 7बी, 6बी, 5बी, 4बी, 3बी, 2बी, बी, एचबी, एच, 2एच, 3एच, 4एच, 5एच, 6एच, 7एच, 8एच, 9एच, 10एच आदि। 10B से B तक की सभी पेन्सिल सॉफ्ट और हलके रंग की पेन्सिल है। और H से 10H तक की पेन्सिल लिखित रूप में कठोर और गहरे रंग की पेन्सिल होती हैं।

जबकि HB पेन्सिल एक सामान्य पेन्सिल है। HB पेन्सिल का उपयोग सामान्य उपयोग में किया जाता है I जबकि शेष पेन्सिलों का उपयोग विभिन्न व्यवसायों में और विभिन्न उपयोगिताओं के अनुसार किया जाता है H का मतलब हार्डनेस और B का मतलब ब्राइटनेस है। इसका मतलब है कि सामान्य उपयोग HB पेन्सिल में कठोरता और चमक दोनों समान हैं।

आमतौर पर पेन्सिल का इस्तेमाल कागज पर लिखने और ड्राइंग के लिए किया जाता है।

पेन्सिल का आविष्कार किसने किया ?

पेंसिल

पेन्सिल के आविष्कार के लिए तीन अलग-अलग दावे किए जाते हैं….

१. कहा जाता है कि स्वीडन के कॉनराड गैस्टनर ने १५६५ में पेन्सिल का आविष्कार किया था।

२ एक और दावा यह है कि १८१२ में, एक अमेरिकी विलियम मोनरो ने अपने पहले लकड़ी के कवर में ग्रेफाइट युक्त एक पेन्सिल का आविष्कार किया था।

३. कहा जाता है कि नेपोलियन बोनापार्ट की सेना के एक वैज्ञानिक निकोलस जैक्स ने १७९५ में आधुनिक पेन्सिल की खोज की थी।

४ . ३० मार्च १८५८ के दिन हाइमन लिपमैन नाम के एक शोधकर्ता ने रबर वाली पेन्सिल का आविष्कार किया।

जिस किसी ने भी पेन्सिल खोजी हो …. उसने मानव कल्याण का कार्य किया है ।

पेंसिल

भारत की पेंसिल

भारत में पेन्सिल का उत्पादन हिन्दुस्तान पेन्सिल ने १८५८ में शुरू किया। हिन्दुस्तान पेन्सिल की स्थापना बाबूभाई जे संघवी और रामनाथ मेहरा ने की थी।आज भी हिन्दुस्तान पेन्सिल की बाजार हिस्सेदारी लगभग ४५% है। आज के भारतीय बाजार में हिन्दुस्तान पेन्सिल द्वारा बनाई गई लगभग ८,००,००० पेन्सिले प्रतिदिन बिकती हैं!

कुछ पेन्सिले ग्रेफाइट की जगह चारकोल से भी बनाई जाती है। लेकिन वह पेन्सिल उपयोग में कम पसंद की जाती है क्योंकि यह ग्रेफाइट की तुलना में चारकोल ज्यादा नरम है जिससे पेन्सिल की लीड बारबार टूट जाती है। कार्बन पेन्सिले भी बाजार में उपलब्ध हैं।

१९५५ में Scripto और Parker Pens  दोनों ने लिक्विड ग्रेफाइट पेन्सिल लॉन्च की। तरल ग्रेफाइट युक्त पेन्सिल का उपयोग आज कुछ विशेष व्यवसाय और महत्वपूर्ण उपयोगों में किया जाता है। कांच, प्लास्टिक, धातु और तस्वीरों पर लिखने के लिए ग्रीस पेन्सिल का उपयोग होता है।

कारपेंटर्स पेन्सिल को मिस्त्री ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। १७वीं सदी बनी एक German Carpenter’s Pencil आज भी Faber-Castell के संग्रहालय में संरक्षित है। स्टेनो पेन्सिल की लीड ब्रेक प्रूफ है। सामान्य उपयोग में ग्रेफाइट पेन्सिल का उपयोग किया जाता है।

अगस्त २००७ में मलेशिया में फैबर-कैसल के मुख्यालय में ६५ फुट (२० मीटर) लंबी पेन्सिल बनाई गई थी। लेकिन एक महीने बाद ३ सितंबर २००८ को यह रिकॉर्ड टूट गया। उस दिन Ashrita Furman ने एक पेन्सिल बनाई जो ७६ फीट (२३ मीटर) लंबी और ८.५ किलोग्राम वजन की थी। जिसमें इस्तेमाल किए गए ग्रेफाइट का वजन २ किलो था। यह पेन्सिल दुनिया में बनी अब तक की सबसे बड़ी पेन्सिल है।

दुनिया की सबसे बड़ी पेंसिल बनाने वाला

पेंसिल

सबसे ज्यादा बिकने वाली पेंसिल

आम तौर पर भारतीय बाजार में सबसे ज्यादा बिकने वाली पेन्सिले अप्सरा और नटराज थीं और शायद आज भी हैं I

फिलहाल वो पेन्सिल मिलती है या नहीं ये पता नहीं पर एकसमय मुझे “Made in Germany” की “Tajmahal” पेन्सिल का उपयोग करने का मौका मीला था।

लंबे समय तक कागज पर पेन्सिल लेखन स्वतः मिट जाता है और/या पेन्सिल लेखन को रबर से मिटाया जा सकता है।

याद रखें, कल तक पेन्सिल के टेक्स्ट को रबर के इस्तेमाल से ही मिटाया जा सकता था, लेकिन एक बात तो तय है, कि भविष्य में बिना रबर के इस्तेमाल से खुद पेन्सिल का वजूद ही मिट जाएगा !

सुई के बारे मे दिलचस्प माहिती

LIKE,COMMENT,SHARE

Leave a Reply