बिसरख गांव रावण का जन्म स्थल
बिसरख गांव जहां रावण , कुबेर, कुंभकर्ण और विभसन का जन्म उआ था

बिसरख गांव रावण का जन्म स्थल

बिसरख गांव दिल्ली से ३० किमी और नोएडा से १० किमी की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गांव … जो यूपी के गौतमनगर जिले में स्थित है। इस गांव की आबादी करीब ७००० है। आज पूरी तरह से अज्ञात गांव है पर प्रागैतिहासिक काल में एक बहुत ही महत्वपूर्ण गांव रहा है।

देवताओं के कोषाध्यक्ष का जन्म इसी गांव में हुआ था। और ऐसा भी माना जाता है कि इस गांव में महादेव के मंदिर के रास्ते में देवताओं के कोषाध्यक्ष सीधे वैकुंठ को सिधारे थे !

बिसरख गाँव का इतिहास

यह गांव एक महाप्रतापी, महाविद्वान और महाशिवभक्त राजा की जन्मस्थली भी है। महाघमंडी और महाअभिमानी राजा की मृत्युतिथि पूरे भारत में मनाई जाती है जबकि उस दिन इस गांव में कोई त्योहार नहीं मनाया जाता है, लेकिन उनके गांव में पैदा हुए बेटे की मृत्यु के दिन पूरे गांव में मातम होता है! आपका अनुमान बिल्कुल सत्य है। मैं बात कर रहा हूं कुबेर की, जिन्होंने स्वर्ण लंका की रचना की और उनके सौतेले भाई लंकापति रावण की लंका की भी `।

वीर महर्षि विश्ववा का पहला विवाह महर्षि भारद्वाज की पुत्री देवांगना से हुआ था। उस शादी से उन्हें एक पुत्ररत्न था … जिसका नाम कुबेर है… जिन्हें इतिहास में देवताओं के कोषाध्यक्ष और स्वर्ण लंका के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। लेकिन यह भी माना जाता है कि कुबेर ने अपने अंतिम वर्ष गुजरात में नर्मदा (चानोद) के तट पर करनाली में कुबेर भंडारी के शिव मंदिर में बिताए थे।

पराक्रमी महर्षि विश्ववा का दूसरा विवाह दैत्यराज सुमाली की पुत्री कैकसी से हुआ था। उस विवाह से महर्षि विश्ववा की चार संतानें…

दशग्रीव (रावण), कुंभकर्ण, शूर्पणखा और विभीषण…इस संबंध में, कुबेर और रावण एक दूसरे के सौतेले भाई थे। ऐसा माना जाता है कि कुबेर और रावण सहित विश्ववा के सभी बच्चों का जन्म बिसरख गांव में हुआ था। (आपकी तरह मेरे मन में यह विचार आया, “बिसरख कहाँ है और लंका कहाँ है?”)

कहा जाता है कि महर्षि विश्ववा के नाम पर बिसरख गांव का नाम पड़ा था।  लेकिन माना जाता है कि विश्ववा नाम अपभ्रंश होकर बिसरख हो गया।शिवपुराण में भी विश्रवा गांव का उल्लेख मिलता है।

बिसरख गांव में एक रावण का मंदिर है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि उस मंदिर में रावण की एक भी मूर्ति नहीं है ! दरअसल ये रावण मंदिर एक शिव मंदिर है। माना जाता है की मंदिर की स्थापना शिव के एक भक्त महर्षि विश्ववा ने की थी। माना जाता है की वे इस मंदिर में बैठकर शिव की घोर तपस्या करते थे। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं रावण ने हिंडन नदी या हरनंदी नदी के तट पर की थी। इसलिए इस मंदिर को रावण मंदिर के नाम से जाना जाता है।

पुराणों मे बिसरखका उल्लेख

एक पौराणिक कथा के अनुसार, महान शिव भक्त रावण ने अपने सौतेले भाई से स्वर्ण लंका हथियाने के लिए इस मंदिर में शिव की तपस्या की थी। और भगवान शिव को 1000 कमल अभिषेक करते समय एक कमल होने के कारन अपने दस सिरों में से एक सिर का अभिषेक किया था I कहते है की यही कारण से इस मंदिर को रावण मंदिर के नाम से जाना जाता है।

इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग अष्टकोणीय है। इस शिवलिंग की आश्चर्यजनक बात यह है कि भले ही इस अष्टकोणीय शिवलिंग पर कई दिनों तक पानी या दूध का अभिषेक न किया गया हो, लेकिन शिवलिंग को छूने में हमेशा गीलापन महसूस होता है !

इस मंदिर में एक गुफा है। जिसका एक सिरा गाजियाबाद के दूधेश्वर नाथ महादेव मंदिर की ओर जाता है I  जबकि दूसरा छोर मेरठ की तरफ जाता है ! कहा जाता है कि इस गुफा के रास्ते में महर्षि विश्ववा दुघनाथ महादेव की पूजा करने के लिए जाया करते थे और इस गुफा के रास्ते विश्ववा मेरठ अपने ससुराल भी जाया करते थे ! हालांकि, गुफा को फिलहाल बंद कर दिया गया है।

इस गांव में भगवान राम की भी पूजा होती है, लेकिन जब दुनिया भर के हिंदू विजयादशमी के दिन रावण पर राम की जीत का जश्न मनाते है और रावण के पुतले को जलाते है तब बिसरख गांव में विजयादशमी के दिन ऐसा कोई उत्सव नहीं मनाया जाता, ना तो रावण के पुतले का दहन किया जाता है ।

इस गांव में कभी रामलीला नहीं होती। गांववाले रावण को अपना पुत्र मानते हैं और कोई माता-पिता अपने पुत्र की मृत्यु का उत्सव कैसे मना सकते हैं ! कहा जाता है कि पिछले दिनों कुछ लोगों ने रामलीला और विजयादशमी के दिन रावण के पुतले को जलाने की योजना बनाई थी, जिसके कारण आयोजकों और उनके रिश्तेदारों के घरों में सामूहिक मौतें हुईं। लेकिन साल 2020 में यहां के कुछ ग्रामीणों ने रावण के पुतले को जलाया था और कुछ लोगों की मौजूदगी में विजयादशमी भी मनाई थी I

इस गांव की एक विशेषता यह भी रही है की इस गांव में जब भी और जहां कहीं भी सड़क निर्माण, या भवन या किसी अन्य कारण से भूमि की खुदाई की जाती है, शिवलिंग हमेशा मिलता है !

रावण मंदिर का शिव लिंग 2.5 फीट बाहर है और लगभग ८ फीट जमीन में है।

लेकिन कुछ मान्यताओं के अनुसार जमीन में इस शिवलिंग का अंत कभी नहीं मिला !

कई रहस्यों से भरी है ये दुनिया…उसमे कई रहस्य बनते रहते है ।  

शर्त यह है कि उन रहस्यों का भेद पाने के लिए आपको उन रहस्यों को श्रद्धा, विश्वास और आशा के साथ देखना होगा।

Wikepedia Me Bisrakh https://en.wikipedia.org/wiki/Bisrakh

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