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1.रेलवे स्टेशन के सबसे लंबे नाम :

रेलवे स्टेशन के नाम मे पेहले बात करेङ्गे आन्ध्र प्रदेश में Venkatanarasimharajuvariipeta (वेंकटनारसिम्हाराजुवरिपेटा) स्टेशन भारतीय रेलवे नेटवर्क के सबसे लंबे नामवाले रेलवे स्टेशनों में से एक है। वह नाम जो भारतीय रेलवे के इतिहास में अब तक किसी भी रेलवे स्टेशन का सबसे लंबा नाम है! जिनके नाम में 29 अक्षर हैं। यह स्टेशन आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमा पर स्थित है।

सबसे लम्बा रेलवे स्टेशन का नाम

https://en.wikipedia.org/wiki/Venkatanarasimharajuvaripeta_railway_station

2.रेलवे स्टेशन का संक्षिप्त नाम :

रेलवे स्टेशन के नाम है ओडिशा में एक रेलवे स्टेशन का नाम IB है।  

जो नाम भारतीय रेल इतिहास में किसी भी स्टेशन का सबसे छोटा नाम है। नाम में केवल दो अक्षर है।  

एक रेलवे स्टेशन का नाम ईब नदी के नाम पर रखा गया है जो स्टेशन के पास बहती है। ईब नदी महानदी की एक सहायक नदी है, जो हीराकुंड बांध में जाकर मिलती है।1900 में जब बंगाल नागपुर रेलवे ने ईब नदी पर एक पूल का निर्माण शुरू किया, तो ईब नदी के दोनों किनारों के क्षेत्र में काफी मात्रा में कोयला पाया गया। जिसके कारण उस क्षेत्र की कोयला खदानों को ईब वैली कोलफील्ड्स के नाम से जाना जाता है।

IB उर्फ आईबी के बारे में बात करते हुए आप गुजरात में आनंद-गोधरा रेलवे लाइन पर OD उर्फ ओड स्टेशन को भूल गए?!

OD भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे छोटा रेलवे स्टेशन का नाम भी है।

भावनगर जिले के गरियाधर तालुका (अब जेसर तालुका में) के एक गांव का नाम “पा” है।एकअक्षरवाले संक्षिप्त नामवाला भारत देश का “पा” एकमात्र गांव है। आज इस गांव की आबादी 1500 है।

150 साल पहले बसे इस गांव का इतिहास कहता है कि जेसाजी नाम के एक भाई ने जेसर को और वेजाजी नाम के एक भाई ने वेजलकोट नाम के गांव को बसाया।

उसके बाद वेजाजी को जेस्सर गाँव मिला, वेजाजी के चार पुत्रों में भूमि बाँटकर वेजाजी के पुत्र मलकजी को भूमि का एक चौथाई अर्थात् कुल भूमि का “पा भाग” प्राप्त हुआ। मलकजी ने उस जमीन पर जो गांव बनवाया था, उस गांव को कोई दूसरा नाम देने के बजाय “पा भाग” का “पा” नाम दिया गया था। इस गांव को आज भी इसी नाम से जाना जाता है।

3 दो राज्य और एक रेलवे स्टेशन:

सूरत-भुसावल रेलवे लाइन पर पश्चिम रेलवे के नवापुर रेलवे स्टेशन का दो राज्यों में अपना अस्तित्व है। उस स्टेशन या भारतीय रेलवे की कोई गलती नहीं है। 1 मई 1960 को महाराष्ट्र और गुजरात दो राज्य बने। नवापुर रेलवे स्टेशन का जन्म सबसे पहले हुआ था। लेकिन दोनों राज्यों के बीच जमीन के बंटवारे के दौरान इस रेलवे स्टेशन के हिस्से को दो हिस्सों में बांट दिया गया। 800 मीटर स्टेशन का 500 मीटर हिस्सा गुजरात में है जबकि 300 मीटर हिस्सा महाराष्ट्र में है।

स्टेशन पर लगाई गई लकड़ी की आधी बेंच गुजरात में हैं जबकि दूसरी आधी महाराष्ट्र में है ! तो कभी-कभी चार सदसीवाले एक परिवार के दो सदस्य गुजरात में बैठे होते हैं जबकि शेष दो सदस्य महाराष्ट्र में बैठे होते है !गुजरात की ओर वाला हिस्सा गुजरात के तापी जिले के उच्छल तालुका का हिस्सा है, जबकि महाराष्ट्र की ओर वाला हिस्सा महाराष्ट्र के नंदरबार जिले का हिस्सा है।  

इस स्टेशन की खास बात यह है कि स्टेशन पर टिकट कार्यालय महाराष्ट्र की तरफ है, इसलिए टिकट जारी करने वाला कर्मचारी महाराष्ट्र में बैठते है। जब कि स्टेशन मास्टर का कार्यालय गुजरात की ओर भाग में होता है, तो स्टेशन मास्टर गुजरात में बैठता है।

स्टेशन पर रेलवे पुलिस चौकी भी महाराष्ट्र में है, जबकि प्रतीक्षालय, पानी की टंकी और शौचालय गुजरात की ओर है। पर्यटकों की सुविधा के लिए इस स्टेशन पर चार भाषाओं गुजराती, मराठी, हिंदी और अंग्रेजी में निर्देश लिखे जाते है और पर्यटकों की सुविधा के लिए गुजराती, मराठी, हिंदी और अंग्रेजी में आवश्यक घोषणाएं की जाती है।

“टू स्टेट्स” में होने के कारण, “टू स्टेट्स” के विभिन्न कानून इस रेलवे स्टेशन पर लागू होते हैं – जैसे गुजरात में शराब पर प्रतिबंध है जबकि महाराष्ट्र में गुटखा पर प्रतिबंध है।

इस रेलवे स्टेशन पर महाराष्ट्र से आ रही ट्रेन का इंजन समेत कुछ हिस्सा गुजरात में रहता है , जबकि गुजरात से आ रही ट्रेन का इंजन वाला हिस्सा महाराष्ट्र में रहता है।

यानी अगर इंजन ड्राइवर गुजरात में है तो गार्ड महाराष्ट्र में हैऔर इंजन ड्राइवर महाराष्ट्र में है, तो ट्रेन का गार्ड गुजरात में है !

जब कि सूरत-मुंबई रेल लाइन पर गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा पर उमरगाम रेलवे स्टेशन पूरी तरह से गुजरात में स्थित है।

नवापुर भारतीय रेलवे के इतिहास में “टू स्टेट्स” का एकमात्र रेलवे स्टेशन नहीं है। भवानी मंडी रेलवे स्टेशन दो अलग-अलग “राज्यों” अर्थात् राजस्थान और मध्य प्रदेश में स्थित है। भवानी मंडी रेलवे स्टेशन के एक हिस्से में राजस्थान राज्य सीमा प्रारंभ बोर्ड है। जबकि दूसरी ओर मध्य प्रदेश राज्य की सीमा की शुरुआत का बोर्ड लगा हुआ है।

भवानी मंडी रेलवे स्टेशनके नाम पर टिकट बुकिंग कार्यालय मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में है। जबकि स्टेशन और वेटिंग रूम में प्रवेश का रास्ता राजस्थान के झालावाड़ जिले में है।  कभी-कभी मध्य प्रदेश की टिकट खिड़की पर टिकट खरीदने के इंतजार में मुसाफिरों की लाइन राजस्थान तक पहुंच जाती है ! भवानी मंडी स्टेशन से प्रतिदिन करीब 350 ट्रेनें गुजरती है। भवानी मंडी कस्बा अनाज कारोबार का प्रमुख केंद्र है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह नागपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा संतरा उत्पादन केंद्र है

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