विमान की चोरी , रूसी लड़ाकू मिग 25पी की कहानी
MIG 25P

विमान की चोरी , रूसी लड़ाकू मिग 25पी की कहानी

इस विमान की चोरी के समय विभिन्न विचारधाराओं, विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं, इच्छाओं या महत्वाकांक्षाओं वाले विभिन्न देश (व्यक्तिगत और/या राजनीतिक नेताओं या शासकों की) दुनिया के देशों में अपना वर्चस्व दिखाने और अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए एक-दूसरे से लड़ते रहे…ये और ऐसे अन्य कारण मुख्य रूप से प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के लिए जिम्मेदार थे। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में, दो अलग-अलग विचारधाराएं और राजनीतिक व्यवस्थाएं, पूंजीवाद (आप इसे लोकतंत्र भी कह सकते हैं) और साम्यवाद, स्पष्टरूप में सामने आए।

दो विश्व युद्धों के अनुभव ने अमेरिका और यूएसएसआर सहित दुनिया के सभी देशों को सिखाया कि युद्ध का कोई मतलब नहीं है। और उसके साथ ही, दुनिया की दो महाशक्तियों, अमेरिका और यूएसएसआर और उनके सहयोगियों के बीच शीत युद्ध की स्थिति बनने लगी। 1946 से शुरू हुए शीत युद्ध की स्थिति 1991 तक बनी रही।1989 में पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के एकीकरण और 26 दिसंबर 1991 को यूएसएसआर के टूटने के साथ शीत युद्ध लगभग समाप्त हो गया।

अमेरिका और सोवियत संघ जैसे देशों ने शीत युद्ध के दौरान कभी एक दूसरे के साथ सीधे युद्ध नहीं किया…लेकिन वो दोनों देश…एक दूसरे को घूरते रहे, एक दूसरे पर गरजते रहे, एक दूसरे को डराते रहे और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों देश एक दूसरे से डरते थे !

रूसी मिग 25पी लड़ाकू विमान की चोरी का किस्सा हुआ । शीत युद्ध के दौरान, अमेरिका और यूएसएसआर दोनों ने अपने पुराने हथियारों की धार को मजबूत करना शुरू कर दिया और एक दूसरे से बेहतर नए हथियारों की खोज जारी रखी…जिन्हें अपना वर्चस्व साबित करना था ! एक दूसरे के नए हथियारों की दक्षता और ताकत जानने के लिए दोनों बैचेन रहते थे, इसलिए दोनों के लिए एकदूसरे के नए हथियार चुराना ही मुख्य बात बन गई थी।

उस समय सोवियत संघ के लड़ाकू विमानों की मिग (मिकॉयन गुरेविच) श्रृंखला का दबदबा था। अमेरिका के लिए अद्यतन मिग 25 प्रौद्योगिकी को जानने की बड़ी तमन्ना थी। अमेरिका को किसी भी कीमत पर मिग २५पी  लड़ाकू विमान हासिल करना था।

रूसी मिग 25पी लड़ाकू विमान की चोरी की घटना कब घटी

रविवार की छुट्टी के बाद उस दिन सोमवार था और तारीख 6 सितंबर 1976 थी। व्लादिवोस्तोक से लगभग 300 किमी दूर चुगुयेवका एयर बेस पर, वायु सेना के लड़ाकू पायलट अलग-अलग बनावट के अपने निर्धारित लड़ाकू विमानों को उड़ाने की तैयारी कर रहे थे। जिसमें विक्टर बेलेंको के हाथ में आज बिल्कुल नया मॉडल मिग 25पी लड़ाकू विमान था। एयर बेस पर बेहद उत्साही दिखने वाले लेफ्टिनेंट विक्टर बेलेंको ने आज अपने विमान के टैंक को ईंधन से भर दिया। विक्टर ने अन्य सह-पायलटों के साथ अपना मिग 25पी भी लिया और अपने विमान को हवा में उड़ा दिया।और अन्य पायलटों के साथ आकाश में अपना नियमित और निर्धारित प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अपने हवाई अड्डे पर लौटते समय, अचानक विक्टर बेलेंको ने अपने विमान को समुद्र की ओर मोड़ दिया और हवाई अड्डे से दूर एक दिशा में एक उच्च ऊंचाई पर उड़ान भरना शुरू कर दिया।

बुद्धिमानी से और तेजी से अपने अज्ञात गंतव्य की ओर बढ़ते हुए, बेलेंको ने अपने विमान को समुद्र तल से केवल 100 फीट की ऊंचाई पर उड़ाना जारी रखा। बेलेंको जापान की ओर तेजी से बढ़ रहा था। बेलेंको के पास जापान के किसी शहर का नक्शा नहीं था। न ही बेलेंको किसी अन्य शहर के हवाई अड्डे या एयरबेस के साथ रेडियो संपर्क में था। शायद बेलेंको “ब्लाइंड शूटिंग” की स्थिति में था।

ठीक 01:10 बजे जापान के राडार में एक अज्ञात विमान जापान की ओर आते देखा गया। उलटी गिनती के दस मिनट बाद, ठीक 01:20 पर, जापानी वायु सेना के दो F-4EJ लड़ाकू विमान बेलेंको के मिग 25P के बाएँ और दाएँ लग गई थे। दोनों लड़ाकू विमानों ने जापान के Chitose Air Base से उड़ान भरी थी।  और जापानी युद्धक विमानों ने बेलेंको के विमान को निश्चित मार्ग दिखलाना शुरू कर दिया। बेलेंको के विमान की रेडियो फ्रीक्वेंसी सेट नहीं थी इसलिए कोई रेडियो संपर्क नहीं था। इसलिए बेलेंको को दो विमानों की दिशा में उड़ान भरनी पड़ी।

विमान की चोरी के बीच ईंधन कम पड़ा

विमान की चोरी

बेलेंको भी अपने विमान को पास के चिटोज एयर बेस पर उतारना चाहता था…परंतु…सुबह, ईंधन टैंक, जो पूरा भरा था, वो अभी खली होने की कगार पर था। ऊपर से मौसम भी खराब था। ऐसी स्थिति में बेलेंको की नजर में Hakodate (हाकोदते) का नागरिक हवाई अड्डा आ गया। उस छोटे से हवाई अड्डे पर एक यात्री विमान 727 जेट टेक ऑफ की तैयारी में रनवे की ओर बढ़ रहा था। इसलिए बेलेंको ने हवाई अड्डे के चारों ओर हवा में तीन चक्कर काटे। फिर हवाई अड्डे के रनवे पर मानो अपने विमान को एरपोर्ट पर उतार दिया । उस प्रयास में, बेलेंको का विमान हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने ही वाला था कि वह 727 जेट से टकराने से बच गया। अगर उसका विमान उस विमान से टकरा गया होता….

बिना वजह 727 जेट में बैठे यात्री और विमान के कर्मचारी शहीद हो जाते !

उस छोटे हवाईअड्डे का रनवे लड़ाकू विमान की लैंडिंग के लिए उपयुक्त नहीं था। रनवे अपेक्षाकृत छोटा था। अर्थात रनवे पूरा होने के बाद लगभग 240 मीटर आगे निकल चूका,  बाद में बेलेंको का विमान अपने आप रुक गया। ऐसा करते हुए उनके विमान का अगला टायर भी फट गया, जिससे विमान की दिशा पलट गई और उसका विमान हवाईअड्डे पर अन्य इमारतों से टकरा गया। जिससे उनके विमान का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया।

उस समय, बेलेंको के विमान में सिर्फ 30 सेकंड के लिए ईंधन बचा था !

अचानक हवाईअड्डे पर पहुंचे अज्ञात लड़ाकू विमान को देखकर हवाईअड्डे के कर्मचारी, पर्यटक और हवाईअड्डे पर और हवाईअड्डे के पास काम करने वाले कई लोग विमान को देखने के लिए जमा हो गए।  जैसे ही वह कॉकपिट से बाहर निकला, बेलेंको ने भीड़ को डराने और खुद को बचाने के लिए अपनी पिस्तौल से हवा में दो गोलियां चलाईं।

हवाईअड्डा प्राधिकरण ने स्थानीय पुलिस को सूचित किया गया और स्थानीय पुलिस दोपहर 02:10 बजे मौके पर पहुंची। मामले की जानकारी मिलने के बाद, स्थानीय पुलिस ने बेलेंको को जापान में अवैध रूप से प्रवेश करने और अपनी पिस्तौल हवा में फायरिंग करने के अपराध में हिरासत में लिया। और एयरपोर्ट को बंद करा दिया। स्थानीय पुलिस स्टेशन ले जाये गए बेलेंको ने जापानी पुलिस को अमेरिका में अपनी शरण के बारे में बताया। (सवाल यह भी है कि क्या उस समय बेलेंको जापानी या अंग्रेजी बोल सकता था?!)

बेलेंको की गिरफ़्तारी

अगले दिन, 7 सितंबर, बेलेंको को टोक्यो ले लाया गया। तीसरे दिन, 8 सितंबर को, संयुक्त राज्य अमेरिका ने घोषणा की कि विक्टर बेलेंको को राजनीतिक शरण देगा। इस बीच रूस ने बेलेंको का साक्षात्कार करने के लिए जापानी अधिकारियों को संदेश दिया। लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।

उसके बाद 9 सितंबर को टोक्यो में यूएसएसआर के स्थानीय दूतावास के प्रतिनिधियों ने बेलेंको का दौरा किया। और बेलेंको को रूस लौटने को कहा। लेकिन बेलेंको रूस लौटने की सलाह पर मना कर दिया। और उसी दिन उन्हें टोक्यो एयरपोर्ट से नॉर्थवेस्ट एयरलाइंस की फ्लाइट से अमेरिका भेजा गया। (जापान में रहनेवाले केजीबी एजेंट बेलेंको को ढूंढ कर उसे मार ना दे शायद वही कारण उसे अमेरिका भेज दिया गया होगाI) 9 सितंबर को जापान सरकार ने मिग 25पी को जापानी रक्षा एजेंसियों को सौंप दिया।

कुछ जापानी मछुआरों को उनकी मछली पकड़ने वाली नौकाओं के साथ रूसी सरकारने पकड़ लिया । बेलेंको और मिग 25पी को वापस न करने के गुस्से में उन्हों ने ऐसा किया । जिससे उस समय जापानी सरकार और जापानी लोग रूसी आक्रमण से डरने लगे थे I जापान सरकार ने किसी भी हवाई हमले को रोकने के लिए अकेले Hakodate हवाई अड्डे पर 61 टैंक और एल-90 एंटी-एयरक्राफ्ट गन और 200 सैनिकों को तैनात किया था।

इसके अलावा, Hokkaido प्रांत के आसपास समुद्र में पांच युद्धपोत तैनात किए गए थे। जापानी एमएसडीएफ के जहाज – मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स ने 25 सितंबर तक जापान की समुद्री सीमा पर गश्त जारी रखी।

रूसी मिग 25पी लड़ाकू विमान की जरूरतें

मिग 25पी को छोटे हवाईअड्डे से नहीं उड़ाया जा सकता। इसलिए 25 सितंबर को जापानी और अमेरिकी युद्ध विशेषज्ञों की मौजूदगी में यूएसएसआर के मिग 25पी लड़ाकू विमान को डिस्मेंटल करने की प्रक्रिया शुरू की गई। क्योंकि अमरीका को विमान के एक-एक हिस्से को खोलकर देखना था ! विमान के अलग किये गए हिस्सों को अमेरिकी वायु सेना के कार्गो विमान लोकहीड सी-5ए गैलेक्सी में हाकोदते हवाई अड्डे से हयाकुरी एयरबेस ले जाया गया। मिग 25पी के कलपुर्जे ले जा रहे एक मालवाहक विमान पर एक बैनर लगाया गया था।

जापानी बैनर में लिखा था …”Goodbye people of Hakodate, Sorry for the trouble.” एक सांकेतिक सन्देश ! मालवाहक विमान के साथ जापानी वायु सेना के F-4 फाइटर जेट भी भेजे गए।

हयाकुरी एयरबेस पर रूसी मिग 25पी के प्रत्येक भाग का सावधानीपूर्वक अध्ययन, परीक्षण और सत्यापन किया गया। बेलेंको मिग 25पी तकनीकी मैनुअल की एक प्रति चुरा कर अपने साथ लाया था। इसलिए जापानी और अमेरिकी युद्ध विशेषज्ञों को जाँच करना आसान था। फिर पूरी तरह अलग कर दिए गए मिग 25पी के सभी हिस्सों को 40 अलग-अलग बक्सों में पैक किया गया।

आखिरकार 15 नवंबर 1976 को इसे जापान के हिताची बंदरगाह से यूएसएसआर को भेजा गया। 40 बक्सों को मिलने के बाद रूस ने जापान और अमेरिका से शिकायत की कि विमान के 20 अहम हिस्से गायब है… लेकिन इस मिग 25पी की चोरी के बाद लगभग आत्मसमर्पण कर चुके बेलेंकोसोवियत संघ की बात कौन सुनता ?! मिग 25पी को सोवियत संघ के सोकोल प्लांट में फिर से जोड़ा गया और आज भी उस प्लांट में उस विमान को डिस्प्ले पर रखा जाता है।

बेलेंकोकी गहन पूछताछ

दूसरी ओर अमेरिका पहुंचे बेलेंको की सीआईए और अमेरिकी सेना के अधिकारियों ने करीब एक हफ्ते तक गहन जांच की…जैसे की बेलेंको, विमान चोर के वेश में, कहीं केजीबी एजेंट तो नहीं?! बेलेंको को तब अमेरिकी सैन्य अधिकारियों द्वारा अंग्रेजी भाषा सिखाई जाती थी।

बेलेंको को अमेरिकी नागरिकता देने के अमेरिकी कांग्रेस के प्रस्ताव पर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने 14 अक्टूबर 1980 को अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी।1980 में बेलेंको अमेरिकी नागरिक बन गया। बेलेंको ने नॉर्थ डकोटा के एक संगीत शिक्षक कोरल (कोयल नहीं!) से शादी की। उस शादी से बेलेंको के दो बेटे हैं। बेलेंको ने हाल ही में अपनी अमेरिकी पत्नी को तलाक दे दिया है।

मिग 25पी विमान चुराकर बेलेंको के भागने के बाद, यूएसएसआर के उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारी चुगुयेवका एयरबेस का दौरा करते हैं और यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि बेलेंको ने विमान क्यों चुराया और क्यों भाग गए…तब चौंकाने वाला विवरण सामने आया कि उस एयरबेस पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। सिर्फ बेलेंको ही नहीं बल्कि यहां रहने वाले वायुसेना के सभी जवान इस असुविधा से बेहद नाराज थे।  

जिससे उन सभी का मनोबल बहुत कम था।बेलेंको ने असुविधाओं के बारे में कई बार अपने वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित में शिकायत की लेकिन उन शिकायतों को कूड़ेदान में डाल दिया गया।

बेलेंकोकी पत्नी ने उसे छोड़ दिया

दूसरी ओर बेलेंको की रूसी पत्नी ल्यूडमिला बेलेंको की वायु सेना की नौकरी से खुश नहीं थी। इसलिए उनकी पत्नी ने अक्टूबर 1976 में बेलेंको से तलाक के लिए अर्जी दाखिल करने को कहा और वह अपने तीन साल के बेटे दिमित्री के साथ अपने पिता के घर चली गई थी। इसी वजह से बेलेंको अधिक उदास रहता था। ऐसे और इसी तरह के अन्य कारणों से बेलेंको ने ये काम किया होगा।उनके लिए सबसे अच्छी बात यह थी कि वह मिग सीरीज के बिल्कुल नए मॉडल मिग 25पी को उड़ा रहा था। जो अमेरिकन सुरक्षा एजन्सीओ को चाहिए था I

1980 में, बेलेंको ने रीडर्स डाइजेस्ट में लेखक जॉन बैरोन के साथ “मिग पायलट: द फाइनल एस्केप ऑफ लेफ्टिनेंट बेलेंको” पुस्तक लिखी।

पुस्तक में बेलेंको का रूस में जीवन और बेलेंको ने रूस क्यों छोड़ा इसका वर्णन किया गया है।बेलेंको अमेरिकी सेना और एयरोस्पेस उद्योग के लिए एक सलाहकार के रूप में कार्य करता है साथ में एक प्रेरक वक्ता बन गया है। (शायद बेलेंको एक सबक सिखा रहा होगा कि कैसे एक विमान चुराया जाए !)

बेलेंको क्या वाकेयी मार गया ?

इस बीच, रूस ने कई झूठी अफवाहें फैलाना जारी रखा कि बेलेंको की एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, कि बेलेंको अमेरिका से तंग आकर रूस लौट आया था, कि बेलेंको को रूसी केजीबी के एजेंटों द्वारा अमेरिका से रूस ले जाया गया था, और  उसे मौत की सजा सुनाई गई थी। लेकिन सच तो यह है कि बेलेंको आज 75 साल की उम्र में जीवित हैं और अमेरिका में सुरक्षित रूप से रह रहा है।

यूएसएसआर ने मिग 25पी विमान को हुए नुकसान के लिए जापान को 10000000 डॉलर का बिल भेजा। जब जापान ने अपने हाकोदेट हवाई क्षेत्र के नुकसान के मुआवजे के रूप में यूएसएसआर को $40000 का बिल भेजा। आज तक दोनों बिलों में से किसी का भी परस्पर भुगतान नहीं किया गया है।

बेलेंको, जिसने सोवियत संघ के टूटने के बाद 1995 में यूएसएसआर के मिग 25पी विमान को सफलतापूर्वक चुरा लिया था, ने भी मास्को का दौरा किया! आपकी तरह, मेरा भी मानना था कि विक्टर बेलेंको, जिसने मिग 25पी चुराया और यूएसएसआर से जापान पहुंचाया और अमेरिका में शरण मांगी, वह एकमात्र मामला था। लेकिन शीत युद्ध के दौरान विभिन्न देशों के वायु सेना के पायलटों द्वारा लड़ाकू विमानों की चोरी के +100 मामले सामने आए है।

विमान की चोरी का सबसे चर्चित मामला

लेकिन उन सभी में विक्टर बेलेंको का मामला काफी चर्चित रहा। जापान और अमेरिका रूसी आक्रमण के डर से  निरंतर और गंभीर खतरे में थे। लेकिन रूस ने इस मामले पर कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की। नहीं तो पूरी दुनिया तीसरे विश्व युद्ध में घीर जाती।

जापानी क्षेत्र में दुश्मन यूएसएसआर के बेलेंको के आसान प्रवेश के कारण जापानी वायु रक्षा प्रणाली और जापानी वायु सेना डर गई थी। तब जापानियों ने अपनी पुरानी वायु रक्षा प्रणाली को त्याग दिया और एक पूरी तरह से नई प्रणाली को अपनाया। शायद अमेरिकी एजेंट और बेलेंको के बीच किसी गुप्त समझौते के तहत बेलेंको जापान भाग गया…और ये बात जापान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों को पता होनी चाहिए…तभी तो शायद जापान ने यह दिखावा किया है कि बेलेंको का विमान राडार में नहीं दिखाई दिया ! और देखे जाने के बाद भी, अपने विमानों से सुरक्षित रूप से निकटतम हवाई अड्डे के लिए निर्देशित किया! सीआईए और अमेरिकी सेना के उच्च अधिकारी कई दिनों से बेलेंको की जांच करने का नाटक कर रहे थे। (आप और मैं कहाँ गए हैं यह देखने के लिए कि उस व्यक्ति ने क्या जाँच की!)

 शायद, बेलेंको को मिग 25पी चुराने के लिए करोड़ों रुपए दिए गए होंगे! (मुफ्त में ऐसा दुस्साहस कभी कोई नहीं करेगा)

और सवाल…

1. यूएसएसआर के युद्धक विमानों ने बेलेंको को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की?

2. यूएसएसआर के युद्धक विमानों ने बेलेंको के विमान को मार गिराने की कोशिश क्यों नहीं की?

3. यूएसएसआर सेना ने मिसाइल क्यों नहीं लॉन्च की और बेलेंको के विमान को क्यों नहीं मार गिराया?

4. क्या सोवियत संघ अपने मिग 25पी को किसी भी कीमत पर अमेरिका को सौंपना चाहता था?

5. क्या यूएसएसआर संयुक्त राज्य अमेरिका सहित नाटो देशों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा था?!

6. जानबूझकर बेलेंको का विमान हवाई अड्डे के बजाय नागरिक हवाई अड्डे पर उतरा होगा ?!

यह मानते हुए कि अगर यूएसएसआर अपने चोरी हुए विमानों को युद्धक विमानों से मार गिराने की कोशिश करता है, तो जापानी एयरबेस को कोई नुकसान नहीं हो! इसीलिए सोच-समझकर उस छोटे नागरिक हवाई अड्डे पर, जो खाली होने वाला था, बेलेंको का विमान उतरा होगा !

आदि आदि

भाई, ऐसे सवाल तुरंत अपने दिमाग में उठते है तो…

परंतु….

उत्तर सुनने की आदत हो गई थी “यह प्रबंधन का निर्णय है!” तो…

हालांकि, रूस ने बाद में मिग 25पी को भारत, अल्जीरिया, इराक, बुल्गारिया, लीबिया और सीरिया को बेच दिए थे।

जबकि आर्मेनिया, बेलारूस, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, यूक्रेन और तुर्कमेनिस्तान, जो यूएसएसआर से अलग हो गए थे, के पास आज भी ये विमान हैं।

वैसे…

नहीं आज तक बेलेंको को उनकी रूसी पत्नी ने तलाक दिया है। या बेलेंको ने अपनी रूसी पत्नी से नाता तोड़ लिया है! क्या आप समझे?!

Russian Mig25 Theft

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