2 भाईयोंका प्रेम और 1 की चालाकी :अच्छे लोग अपनी अच्छाई कभी नही छोडते।
भाईयोंका pyaar और चालाकी : परावसु तथा अर्वावसु की कहानी भाईयोंका pyaar और चालाकी की कहानी शुरु होती है एक यज्ञसे।राजा बृहध्युम्न महर्षि रैभ्य मुनी के शिष्य थे। एक बार उन्होंने मुनी से कहा, “मुनीवर,मेरे यहां एक बहुत बड़ा यज्ञ कराना है। तो आपके दोनों पुत्र को यज्ञ करने के लिए भेज दीजिए। मुनी ने […]