Moral Short Stories : गधा और टिड्डीयां
एक बार एक गधा घास चर रहा था। तब उसने कुछ टिड्डीयों के समूह को चहकते हुए सुना। गधा वह गुंजन ध्वनी सुनकर मुग्ध हो गया।
वह उन के स्वर के प्रति आकर्षित हुआ। आखिर वह गधा ही था । अपनी बेसुरी आवाज से वह नाखूश था। मधुर आवाज पाने के इच्छुक, गधे ने टिड्डीयों से पूछा, किस तरह का भोजन करते है, यह मुझे बताइये। ताकि मुझे भी मधुर आवाज मिलें।” मेरी आवाज लोगों को परेशान होती है और मैं कइ बार इसके लिए पिट जाता हूं।
टिड्डीयों ने उत्तर दिया, “ओस। हम लोग केवल ओस का सेवन करते है।”
यह सुनकर गधे ने संकल्प कीया कि वह केवल ओस पर जीवित रहेगा। ताकि उसे भी टिड्डीयों की जैसी सुमधुर आवाज मिलें। यह सोचकर उसने घास खाना बंद किया । केवल ओस खाकर गधा भूखे पेट रहने लगा। मानो की भूख हरताल पर हो।
कुछ ही दिनों में कुपोषण से उसकी मृत्यु हो गई।
नैतिक लघु कथाएँ – सबक 1—हमे दूसरों का अनुसरण करने से पहले अपने आपको परखना जरूरी है। दूसरों का अंधानुकरण करते हमारी जान खतरे में आ सकती है।
शेर और चूहा Moral Short Stories By Aesop
एक बार जंगल में पेड के नीचे एक शेर सो रहा था। पेड़ के तले एक चूहे का बिल था। चूहा बिल से बाहर निकल कर सोते हुए शेर के इर्द-गीर्द दौडने लगा । अचानक शेर नींद से जागा । आंखें खोलकर उसने देखा कि उसके चेहरे पर एक चूहा चल रहा था।
गुस्से में आकर, उसने चूहे को पंजे में पकड़ लिया। वह उसे मारने ही वाला था; जब चूहे ने जोर से कहा, “महाराज, यदि आप मुझे जीवन दान दोगे, तो मैं तुम्हारी दया का बदला अवश्य ही चुकाऊंगा। कृपा करके आप मेरी जान बख्श दीजिये।”
यह सुनकर शेर हंस पडा। यह सोचकर की य़ह छोटासा चूहा मेरी क्या मदद करेगा। तरस खाकर शेरने उसे जाने दिया।
इसके कुछ ही समय बाद यह हुआ कि जंगल में कुछ शिकारीयों ने जाल बिछाया। शेर उस जाल में फस गया। तब शिकारियों ने उसे पकड़ लिया। फिर उसे जमीन पर मजबूत रस्सियों से बांध दिया। बंदी बनकर शेर गुस्से में आकर जोर से दहाडने लगा।
जंगल में भटकते चूहे ने, शेर की दहाड़ को पहचाना। वह भागते हुए आया। चूहेने कहा, “महाराज, आपने मुझे पहचानाॽ मैं वही चूहा हूं, जिसे आपने जीवन दान दिया था।आप को मैं अभी बंधन से मुक्ति दिलाता हूँ । मुझे थोडा वक्त दीजिए ।”
यह कहकर चूहे ने अपने दांतों से शेर को बांधी हुई रस्सी को कुतर दिया। इस तरह उसने युक्ति का उपयोग कर शेर को बंधनों से मुक्त कर दिया । शेर आज़ाद होकर बहुत शांत और प्रसन्न हुआ।शेर नेकहा, “मेरे नन्हे दोस्त, आज तुमने मेरी आजादी बख्श कर, मेरी जान बचाई है। मैं तुम्हारा बहुत आभारी हूँ ।”
तब उसने शेर से कहा: “तुमने मेरी मदद करने के विचार का उपहास किया। मुझसे तुम्हारा एहसान चुकाने की कोई अपेक्षा नहीं की। अब आप जान गए होगे कि एक शेर पर लाभ प्रदान करना भी छोटे चूहे के लिए संभव है। ”
नैतिक लघु कथाएँ सबक 2-दुर्बल भी अपनी चतुरता से बलवान के काम आते है । किसी की ताकत पर बिना जाने संदेह करना अनुचित है। कई बार शक्ति से युक्ति ज्यादा काम आती है।
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अंगारकार Moral Short Stories By Aesop – CHARCOAL-BURNER
एक गांव में अंगारकार ने अपने घर में ही कोयले का व्यापार शुरू किया।घर में कोयले बनाने से उसका घर काला पडने लगा। दिन प्रतिदिन यह कालीन बढने लगा। घरके सदस्य परेशान हो गए । अंगारकार इसका उपाय सोचने लगा। वह अपने दोस्तों से इसपर विचार विमर्श करने लगा।
एक दिन वह अपने एक दोस्त, जो एक फुलर था, उसे मिला। अंगारकार ने उसे अपनी समस्या बताते हुए कहा, “आप तो जानते है कि मेरे घर वाले मेरे काम के कारण परेशान है ।लेकिन मै अपना घर और काला नहीं करना चाहता। मेरी गुजारिश है, आप मेरे साथ रहे। मेरा घर काफी बडा है। एक हिस्से में आप रह सकते है। इस से तुम्हारा घर का खर्च कम होगा। बदले में आप मेरे घर को सफेदी लगाना। हम बेहतर पड़ोसी होंगे।”
फुलर ने कुछ देर सोचा फिर जवाब दिया, “जहाँ तक मुझे लगता है, यह व्यवस्था असंभव है। जो की मुझे घर में रहने पर घर को सफ़ेद करना चाहिए।क्योंकि मेरा सफेदी का काम करते ही आप तुरंत अपने कोयला काम (चारकोल) करंगे। तथा फिर से घर काला कर देंगे। “
यह कहकर फुलर ने अंगारकार के साथ रहने के लिए मना किया । फुलर ने कहा कि वे कहीं बेहतर पड़ोसी होने के बजाय बेहतर मित्र बने रहे। जैसा काम आप करोगे, उसके अनुसार परीणाम भी मिलेंगे । जैसे सफ़ेदी के काम से रोशनी आकर्षित करेंगे। वैसे ही कोयले के साथ फिर से कालीन आकर्षित होगी।
नैतिक लघु कथाएँ सबक 3 – जैसी करनी वैसी भरनी ।
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