Reading and Writing are Complementary – how Mini realised it. मिनी बहुत ही प्यारी 8 साल की बच्ची थी। वह सबको इसलिए प्यारीलगती थी कि उसके बाल बहुत लंबे और काले थे । उसकी आंखें बड़ी बड़ी थी, उसका रंग सांवला था और वह बहुत ही मीठी बोली बोलती थी। लेकिन उसको लिखने से अनबनी थी।
मिनी की फैमिली स्कूल से थोड़ी दूर रहती थी ।उसके साथ में उसकी मां , उसकी दादी उसके डैडी, उसके दादा थोड़े से बीमार रहते थे और उसके चाचा भी थे । लेकिन आर्मी में थे इसलिए वह अब वहां उनके साथ नहीं थे।
मिनी अपने लेवल तक बहुत अच्छा पढ़ सकती थी । जो कहो वह पढ़ देगी, लेकिन जब लिखने का कहो तो भाग खड़ी होती थी ।उसको उसकी दादी, नानी और पापा बहुत सारी कहानियां सुनाते थे । सुनकर उसके मन में बहुत सारे सवाल उठते थे ।
Teacher gives Homework But, Reading and Writing are Complementary
उसे एक दिन उसकी टीचर ने उसे एक होमवर्क दिया , कहा ” मैंने काम दिया है कि किसी से पास भी जाकर एक कहानी सुनना और उसके बारे में कुछ सवाल बनाकर दुसरे दिन क्लास में दिखाना।”
लेकिन मिनीको आशा नहीं थी कि का पुरा होगा । क्योंकि यह सिर्फ क्लास में दिखाना नहीं था सुबह-सुबह जब एसेंबली लगती थी, तब सुबह-सुबह सबके सामने अपना लिखा हुआ पढ़ना था । इसमें दो दिक्कत थी – मिनी को एक तो लिखना और दूसरा किसी बड़ी भीड के सामने बोलना अच्छा नहीं लगता था। उसको बड़ी शर्म आती थी इसीलिए वह कहीं और कभी बोलने आती नहीं थी ।शायद इसी कारण से उसकी टीचर ने उसको यह असाइनमेंट दिया।
अब दूसरे दिन जब टीचर ने उसको पूछा, तब उसने जवाब दिया : “मैने तो लिखा नहीं है, क्योंकि मेरे घर पर सब लोग अनपढ़ है, तो कहानी कैसे सुनाएंगे? ” यह बहाना उसमें स्कूल में बताया। टीचर टीचर ने कहा आप ट्राय करके देखो, कि लोग आपको कहानी सुनाएं। किसी से भी सुन सकते हो और सवाल नही बना सकते हो तो प्रॉब्लम हो जाएगी ।
Reading and Writing are Complementary, Mini’s Problem
इसका मतलब समझ में आ गया ” प्रॉब्लम हो जाएगी” और बच्चे जो काम करके आए थे उसके सामने उसको पढना होगा। यह काम तो उसका ही है। टीचरने उसे स्कुल खत्म हो जाने के बाद बुलाकर कहा ” काम तो तुम्हारा ही और सोच लो तुम को क्या करना है। पुरा कैसे और कितना करना है तय करो। तुम को कम से कम 10 सवाल बनाने है और लिखकर लाना है, अपनी बुकमे और अपनी ही लिखावटमे ।”
टीचर के साथ बात खत्म होने के बाद मिनी मुंह छोटा बना कर घर पर पहुंच गई। उसने किसी को घर में बताया नहीं। सोचा अगर मैं बताऊंगी तो यह लोग मुझे कहानियां सुनाएंगे और मुझे लिखना पड़ेगा। तो उसने सोचा कि,” क्यों ना मैं अपनी नानी के पास जाऊं? वह मेरा सब काम करके देती है। वह मुझे सवाल भी लिख देगी। और मेरा लिखने से छुटकारा हो जाएगा।”
Nani Makes her Understand that Reading and Writing are Complementary
थोड़ी दूर पर उसके मामा का घर था वहां पर नानी के पास पहुंची। हल ढुँढकर , खुश होते होते यह सोच कर, अपनी मीठे-मीठे आवाज में उसने सारी बातें उनको बतायीं। और टीचर ने उससे जो कहा वह उन्हे समजाया ।और गई थी डरी हुई थी शायद नानी उसे मना कर दे तो. लेकिन कहानी तो जरुर सुनाएगी . नानीने उसे कहा – “घबराओ मत मैं तुम्हें कहानी सुनाती हुँ ।” सुनाने के बाद सब कहा “अब चलो लिखो ।” लेकिन यह बात सुनकर उसकी आंखें गिली हो गयी ।
तो उसकी नानी में उसको समझाया और कहा – , “तुम जो काम करने जा रहे हो वह तुम्हारा ही है ।किसी से लिखा नही सकते .लिखने से क्यों भागते हो? तो लिखने का काम तुम्हें जिंदगी भर करना है। उससे तुम कब तक भागोगे ? और तुम्हें पता है अगर तुम लिख लेती हो तो इनाम में मैं तुम्हें कुछ दूंगी । लिखो तो सही धीरे-धीरे।”
यह भी कहा , ” तुमको तुम्हारी यह नापसंदगी छोड़ना ही पड़ेगी. और यह करोगे तो तुम्हारा ही फायदा होना है ।और टीचर भी तुम पर खुश होगी । लोग भी तुम्हारा बखान करेंगे ।सोच लो क्या करना है। ”
फिर सोच कर मिनी ने कहानी के बारे में कुछ सवाल उठाए और नानी को सुनाएं । नानी ने उसे समझा बुझा कर पूरे सवाल लिखवाए और उसका काम पूरा करवाया। फिर उसने कहा “अब समझो तुम्हारी यह लिखने से अनबनी पूरी हो गई, और तुम्हारे हाथ में और एक शक्ति आ गई ।”
पढ़ाई में आगे बढ़ाने के लिए हमेशा तुम्हें नई-नई चीजें सीखनी पड़ेगी और यह नहीं करोगे तो अपनी जिंदगी में आगे कैसे बढ़ोगे? दूसरे दिन उसने किसी से बताया नहीं कि उसने काम लिख कर पूरा कर दिया है। सब लोग छुप छुप के उसकी ओर देखकर हस रहे थे । बच्चे उसकी टिल्ली उड़ा रहे थे, लेकिन उसने मन में सोचा मैं इन लोगों को चुप करा दूंगी और एक सरप्राइज दुंगी ।
वह असेंबली में खड़ी हो गई और उसने पढ़ना शुरू किया। वह धीरे-धीरे घबराते घबराते पढ़ रही थी। लेकिन उसकी आवाज सुनकर और उसकी बातें सुनकर टीचर बड़ी खुश हो गयी। टीचर ने कहा, “तुम्हारे पेपर के जो सवाल हैं वह सबसे अच्छे हैं । और आगे भी तुम इससे भी अच्छा करोगे , इसीलिए कभी भी अपना काम टालना मत, लिखना टालना मत। ” मिनी को समजा कि लिखना , पढना, समजना सब एक दुसरेके पुरक है। Reading and Writing are Complementary , not separate from each other.
टीचर जानती थी कि उसको लिखने से नफरत थी लेकिन अब टीचर को लगा कि उसकी लिखनेसे उसकी नफरत कम हो गई है। इस तरह मिनी पढ़ने और लिखने की जोड़ी को समज गयी । उसने समजा कि लिखने को पढाइ से अलग नही कर सकते । अब वह शांत हो गई और उसकी प्रगति शुरू हो गई। उसने अपनी ज़िम्मेदारी को समजा । नया आत्मविश्वास पाया। अपनी काबिलियत को पहचाना। टीचर और नानी की मददसे यह सब पाया।
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